घर में जीरो वाट लैंप द्वारा बिजली बचाएँ जाने पूरी जानकारी | Save electricity with zero-watt lamps at home

घर में जीरो वाट लैंप द्वारा बिजली बचाएँ: आप सभी लोगो ने अपने आस पास के घरों में LED बल्ब तो जरूर देखें होंगे या आपके अपने घरों में LED बल्ब का उपयोग किया जा रहा होगा। LED बल्ब के बारे में हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं ये कम तीव्रता वाले बल्ब होते हैं जिनका इस्तेमाल हम अपने घरों में लगे फोटो फ्रेम छोटे मंदिरों में डेकुरेशन या रोशनी करने के लिए करते है। और ये LED बल्ब कई रंगों में आते है जैसा कि अलग सभी ने सुना होगा कि रात में पढ़ाई करने के लिए यदि हरे रंग का इस्तेमाल किया जाए तो इससे शिक्षा में काफी अच्छा प्रभाव पड़ता है। कम तीव्रता या कम वाट के होने के कारण ही इन LED बल्ब को जीरो वाट बल्ब भी कहा जाता है।

यह एक तरह का कम बिजली व्यय करने वाला बल्ब होता है जिसका उपयोग आज के समय में सबसे अधिक किया जा रहा है। ये बिजली की 12 से 15 वाट बिजली कि खपत करते हैं। आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि जीरो वाट बल्ब का नाम जीरो वाट इसलिए पड़ा है क्योंकि पहले समय मे इस्तेमाल होने वाले बिजली मीटर इस बल्ब के द्वारा की जाने वाली बिजली की खपत की रीडिंग को मापने में अक्षम होते थे यह मीटर इतने कुशल नहीं होते थे कि यह कम वाट की परिमाण की शक्ति को माप कर रीडिंग दे सके। इसलिए वे इस बल्ब के द्वारा की जाने वाली बिजली की रीडिंग को 0 देखते थे। इसी कारण LED बल्ब का नाम जीरो बल्ब पड़ा।

What are the types of zero bulbs or LED bulbs

LED बल्ब के आविष्कार के बाद इसकी टेक्नोलॉजी के आधार पर इसमें कई सारे बदलाव किए गए LED बल्ब अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं। जो इस प्रकार नीचे दिए गए हैं।

  1. Traditional inorganic LED
  2. High brightness LED
  3. Organic LED

 Benefits of Zero Bulbs

आजकल हमारे घरों में ऐसे बिजली मीटर का उपयोग किया जा रहा है जो बिजली की होने वाली एक अंश खपत को भी रीड कर लेता है इसलिए आप इस गलतफहमी में बिल्कुल ना रहे कि आप आपके घर के मीटर केवल कुछ बिजली की ही रीडिंग करता है।

एक साल में एक LED बल्ब 131.4 किलो वाट होता है जिसके लिए बिजली विभाग से 8 रुपये लेते होंगे। तो बिल की वार्षिक आय-1041.2 यदि हम देखे तो LED बल्ब आर्थिक नजरिये से लाभकारी नहीं है।

क्या Night lamp में जीरो वाट बल्ब का प्रयोग करना सुरक्षित है-

रात के समय आंखों पर पड़ने वाली रोशनी की गुणवत्ता अधिक होती है जो आंखों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती है जिसके कारण अच्छी नींद भी नहीं आती है एक नींद शोधकर्ता के अनुसार केवल 8 लक्स की रोशनी मेलाटोनिन में गड़बड़ी करने के लिए काफी होती है। मेलाटोनिन एक हार्मोन का नाम है रात के समय बनाता है जो शरीर के बजन शरीर में ऊर्जा के संतुलन को बनाये रखने में सहायक होता है। यह हार्मोन नींद और किर्काडिअन के तुल्यकालन के लिए जरूरी होता है।इसके साथ ही ये कैंसर को रोकने के लिए भी उपयोगी होता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टैबललैंप की रोशनी की चमक बहुत अधिक और नाइट लैप के मुकाबले 2 गुना होती है। कम रोशनी के सम्पर्क के कारण भी मेलाटोनिन के बनने में हस्तक्षेप होता है। साथ ही नीले रंग वाली रोशनी मेलाटोनिन के उत्पाद के लिए सबसे बेकार है।

हम जीरो वाट के बल्ब का यूज करते हैं या करना चाहते हैं तो आज के समय में बाजार में कई तरह के एलईडी बल्ब उपलब्ध हैं आज के समय में इस्तेमाल होने वाले LED बल्ब मात्र 1 वाट बिजली का उपभोग करते हैं जबकि आज के समय में मिलने वाले जीरो वाट के बल्ब 15 बाट की बिजली का उपभोग करते हैं। इसके मूल्य इनके प्रकार पर निर्भर करते हैं आपके लिए ये बल्ब 75 से 150 रोये तक आसानी से मिल जायेंगे। LED बल्ब कई वर्षों तक चलते हैं आज के समय में LED बल्ब का GM सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले ब्राण्ड में से एक है।

एक शोध के अनुसार केरल राज्य में निवास करने वाले लोग अपने आस पास लगभग 8 लाख से भी अधिक LED बल्ब का इस्तेमाल करते हैं। जो 12- 15 वाट तक कि बिजली उपभोग करते हैं। इस राज्य में बिजली की खपत 9 मेगावाट से भी अधिक हुई है। इससे यह समझ जा सकता है कि जीरो वाट बल्ब भले ही कम बिजली की खपत करते हैं लेकिन इसका अनियंत्रित इस्तेमाल करने से बहुत अधिक बिजली की खपत होती है।

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