संडरी चार्ज क्या होता है? इलेक्ट्रिसिटी बिल में संडरी चार्ज क्या होता है?|What is a Sundry Charge? What is the Sundry Charge in an Electricity Bill?

भारत के अंतर्गत बिजली बिल उपभोक्ताओं के द्वारा बिजली की खपत करने के बाद जारी किया जाता है। जब हम मीटर में यूनिट को देखते हैं क्योंकि बिजली की कीमत मीटर में यूनिट के तौर पर दर्ज होती है। उसके बाद प्रत्येक राज्य के यूनिट रेट के अनुसार बिजली राशि तय की जाती है। ऐसे में बिजली बिल के अलावा भी बिजली बिल के अंतर्गत और भी अन्य चार्ज जुड़ते हैं। इसी में से एक चार्ज संडरी चार्ज होता है। यदि आप लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तो हमारे द्वारा आप सभी को इस लेख में विस्तार पूर्वक बताया गया।

हमारे देश के बहुत से राज्यों हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली और राजस्थान आदि में एनर्जी चार्ज के साथ-साथ अन्य शुल्क भी जुड़कर आते हैं। जिनमें से संडरी बिल भी एक प्रकार का शुल्क होता है। कई बार यह शुल्क अधिक होता है, जिसकी वजह से बिजली बिल पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। यदि आप लोगों ने संडरी बिल के कारण अधिक बिल जमा किए हैं, आदि के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे। यदि आप इससे संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक आवश्यक तौर पर पढ़े।

भारतीय इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 135 के अनुसार भारतीय बल के अंतर्गत एनर्जी शुल्क के साथ-साथ अन्य शुल्क भी जोड़े जाते हैं। जिनका भुगतान उपभोक्ता के द्वारा किया जाता है। संडरी बिल भी एक इसी प्रकार का शुल्क होता है। यह बिजली वितरण में उपयोग होने वाली विभिन्न सेवाओं से संबंधित हो सकता है।

इस शुल्क के बारे में जब मैंने अपने क्षेत्र के बिजली विभाग कार्यालय में जाकर पता किया तो पता चला कि यह शुल्क मीटर रेंट के रूप में बिल के अंतर्गत जोड़ा गया है। जब मैंने इसके बारे में और भी रिसर्च की तब मुझे पता चला की संडरी बिल मीटर चार्ज के रूप में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड कंपनी के द्वारा जोड़ा जाता है। इसीलिए यह साल में केवल एक बार बिजली बिल में जुड़कर आएगा। हालांकि भारत के अलग-अलग राज्यों में यह चार्ज अन्य सर्विस के लिए भी लिया जा सकता है।

 संडरी बिल चार्ज में कितना जुड़कर आएगा उपभोक्ता के मीटर लोड, सर्विस और कई अन्य कारकों पर निर्भर करता है। इसके अलावा ऊर्जा आपूर्ति क्षेत्र और किस सर्विस हेतु संडरी चार्ज लिया जा रहा है। इस बात पर भी शुल्क पूरी तरह निर्भर करता है।

  • मीटर चार्ज:- आपके घर में सरकार के द्वारा मीटर लगाया जाता है। इस मीटर की कीमत और इसको लगाने हेतु खर्च को उपभोक्ता के द्वारा मीटर चार्ज शुल्क के रूप में देना होता है। इसके अलावा मीटर की जो भी देखरेख होती है और उसकी रिपेयरिंग में आने वाले खर्च भी मीटर चार्ज के रूप में देखने को मिलता है। कई ऐसे राज्य हैं, जिन राज्यों में मीटर चार्ज को संडरी चार्ज के रूप में जुड़कर बिजली बिल के अंतर्गत दिया जाता है।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज :- बिजली को बनाने में लगने वाली लागत के अलावा भी उपभोक्ताओं तक बिजली को पहुंचने में बहुत से खर्च आते हैं क्योंकि बिजली को पहुंचाने हेतु तार, खंबे और अन्य का उपकरणों की आवश्यकता होती है। जिनकी आवश्यकता बिजली वितरित करने में होती है। इन सभी उपभोक्ताओं से लिया जाने वाला चार्ज इंफ्रास्ट्रक्चर चार्ज कहलाता है। जिसे कई राज्यों के बिजली बिल में संडरी चार्ज के रूप में जोड़ दिया जाता है।
  • अधिभार:-  बिजली बिल को प्रतिमाह जमा करने की एक आखिरी तिथि होती है। जब उपभोक्ता अंतिम तिथि तक अपने बिजली बिल को जमा नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें जुर्माने के रूप में अधिभार देना होता है। इस अधिकारी या अन्य प्रशासनिक शुल्क को संडरी रिचार्ज के रूप में भेजा जाता है।
  • गवर्नमेंट टैक्स :-बिजली की खपत पर सरकार के द्वारा एक टैक्स लगाया जाता है। इसे हम सब लोग पर्यावरण कर के नाम से भी जानते हैं। यह टैक्स पूर्ण तरह इस बात पर निर्भर करता है कि बिजली बिल किस राज्य का है? उसी के अनुसार इस टैक्स की राशि निर्धारित की जाती है। कई कंपनियों के द्वारा इस बिल को भी संडरी चार्ज के रूप में जोड़ा जाता है और उपभोक्ताओं को इसका भुगतान करना होता है।

संडरी चार्ज  एक प्रकार का एडिशनल चार्ज होता है। कभी कभी ये चार बहुत कम आता है। यदि ये चार ये कमाते हैं तो इसकी बहुत कम संभावना है की आप इन चार केबिल्स से माफ़ करवा पाएंगे क्योंकि बहुत से ऐसे लोग जो हम चार जी को भी माफ़ करवाने है तो अपने क्षेत्र बीवी के जिले में जाकर पता करते हैं।

इसके बिजली संडरी  बिल बहुत अधिक जुड़कर आता है तो प्रति माह बार बार आपके बिजली बिल में दिया जाता है तो इसके लिए आप अपने शिकायत में सक्षम हो सकते हैं। आप लोगो को ये शिकायत बिजली विभाग में करनी पड़ती है जिसके बाद ये सुलग आपके बिजली से जुड़कर नहीं आता है।

  • आपको अपने बिजली विभाग के ऑफिसियल पोर्टल पर जाना होगा।
  • वहां पर आपको “New Connection” का एक ऑप्शन दिखाई देगा। जिस पर आपको क्लिक कर देना है।
  • उसके बाद आपके सामन आवेदन पत्र खुल जाएगा।
  • वहां पर आपसे जिस प्रकार की जानकारी पूछी जाएगी। आपको वह जानकारी सही प्रकार से उसमें भर देनी है।
  • इसके बाद आपको जरूरी डॉक्यूमेंट वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे।
  • उसके उपरांत नया मीटर लगाने का आवेदन शुल्क सबमिट करना होगा।
  • विद्युत विभाग के अधिकारी आपके द्वारा दिए गए आवेदन पत्र का वेरिफिकेशन करेंगे।
  • कुछ दिनों के बाद आपके घर में बिजली मीटर लग जाएगा।
  • इस तरह से आप बिना किसी दिक्कत व परेशानी के बिजली का मीटर लगवा सकते हैं।

सभी जानकारी प्राप्त करने के बाद आपके मन में यह सवाल अवश्य ही आया होगा की ऑफलाइन बिजली मीटर कैसे लगाएंगे? तो हम आपको बता दें कि यदि आप ऑफलाइन बिजली मीटर लगवाने के इच्छुक है, तो सबसे पहले आपको अपने पास के बिजली विभाग के ऑफिस जाना होता है। वहां पर जाने के उपरांत आपको बिजली मीटर लगाने का आवेदन पत्र उपलब्ध कराया जाएगा।

उसके बाद उस आवेदन पत्र के अंतर्गत आपसे जो भी जानकारी मांगी जाएगी। वह जानकारी आपको उसके अंदर सही ढंग से भरनी होगी। उसके बाद आपको जरूरी डॉक्यूमेंट आवेदन पत्र के साथ बिजली विभाग के अंतर्गत सबमिट करने होंगे। फिर बिजली के कर्मचारी आपके आवेदन पत्र का अच्छी तरीके से वेरिफिकेशन करेंगे और कुछ दिन के बाद आपके घर के अंदर मीटर लगवा देंगे।

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